Saraswati Vandana Mantra


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Saraswati, una diosa hindú.

Saraswati Vandana es un importante mantra hindú que se recita para obtener música, conocimiento y sabiduría. [1]

La diosa Saraswati es la autoridad en lo académico y en las artes. Todos, desde los músicos hasta los científicos que siguen el hinduismo, le rezan para recibir orientación y conocimientos. El Saraswati Vandana mantra es recitado por sus devotos cada mañana como homenaje a la diosa. Todos tienen una versión diferente de la vandana, una oración a la Diosa.

Verso

या कुन्देन्दु तुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशङ्करप्रभृतिभिर्देवैस्सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निश्शेषजाड्यापहा॥ १॥
दोर्भिर्युक्ता चतुर्भिं स्फटिकमणिनिभै रक्षमालान्दधाना
हस्तेनैकेन पद्मं सितमपिच शुकं पुस्तकं चापरेण।
भासा कुन्देन्दुशङ्खस्फटिकमणिनिभा भासमानाऽसमाना
सा मे वाग्देवतेयं निवसतु वदने सर्वदा सुप्रसन्ना॥ २॥
सुरासुरासेवितपादपङ्कजा करे विराजत्कमनीयपुस्तका।
विरिञ्चिपत्नी कमलासनस्थिता सरस्वती नृत्यतु वाचि मे सदा॥ ३॥
सरस्वती सरसिजकेसरप्रभा तपस्विनी सितकमलासनप्रिया।
घनस्तनी कमलविलोललोचना मनस्विनी भवतु वरप्रसादिनी॥ ४॥
सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा॥ ५॥
सरस्वति नमस्तुभ्यं सर्वदेवि नमो नमः।
शान्तरूपे शशिधरे सर्वयोगे नमो नमः॥ ६॥
नित्यानन्दे निराधारे निष्कलायै नमो नमः।
विद्याधरे विशालाक्षि शुद्धज्ञाने नमो नमः॥ ७॥
शुद्धस्फटिकरूपायै सूक्ष्मरूपे नमो नमः।
शब्दब्रह्मि चतुर्हस्ते सर्वसिद्‍ध्यै नमो नमः॥ ८॥
मुक्तालङ्कृत सर्वाङ्ग्यै मूलाधारे नमो नमः।
मूलमन्त्रस्वरूपायै मूलशक्त्यै नमो नमः॥ ९॥
मनो मणिमहायोगे वागीश्वरि नमो नमः।
वाग्भ्यै वरदहस्तायै वरदायै नमो नमः॥ १०॥
वेदायै वेदरूपायै वेदान्तायै नमो नमः।
गुणदोषविवर्जिन्यै गुणदीप्त्यै नमो नमः॥ ११॥
सर्वज्ञाने सदानन्दे सर्वरूपे नमो नमः।
सम्पन्नायै कुमार्यै च सर्वज्ञ ते नमो नमः॥ १२॥
योगानार्य उमादेव्यै योगानन्दे नमो नमः।
दिव्यज्ञान त्रिनेत्रायै दिव्यमूर्त्यै नमो नमः॥ १३॥
अर्धचन्द्रजटाधारि चन्द्रबिम्बे नमो नमः।
चन्द्रादित्यजटाधारि चन्द्रबिम्बे नमो नमः॥ १४॥
अणुरूपे महारूपे विश्वरूपे नमो नमः।
अणिमाद्यष्टसिद्धायै आनन्दायै नमो नमः॥ १५॥
ज्ञान विज्ञान रूपायै ज्ञानमूर्ते नमो नमः।
नानाशास्त्र स्वरूपायै नानारूपे नमो नमः॥ १६॥
पद्मदा पद्मवंशा च पद्मरूपे नमो नमः।
परमेष्ठ्यै परामूर्त्यै नमस्ते पापनाशिनी॥ १७॥
महादेव्यै महाकाल्यै महालक्ष्म्यै नमो नमः।
ब्रह्मविष्णुशिवायै च ब्रह्मनार्यै नमो नमः॥ १८॥
कमलाकरपुष्पा च कामरूपे नमो नमः।
कपालि कर्मदीप्तायै कर्मदायै नमो नमः॥ १ ९॥
सायं प्रातः पठेन्नित्यं षाण्मासात्सिद्धिरुच्यते।
चोरव्याघ्रभयं नास्ति पठतां श्रृण्वतामपि॥ २०॥
इत्थं सरस्वतीस्तोत्रमगस्त्यमुनिवाचकम्।
सर्वसिद्धिकरं नॄणां सर्वपापप्रणाशनम्॥ २१॥

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Referencias